बुधवार, 26 नवंबर 2025

वेद प्रकाश शर्मा और शिखंडी

स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा ने अपने कई उपन्यास विदेशी फ़िल्मों के कथानकों से प्रेरित होकर लिखे थे। उनका ऐसा ही एक उपन्यास है शिखंडी जो कि हॉलीवुड फ़िल्म माइनॉरिटी रिपोर्ट (Minority Report) से प्रेरित होकर लिखा गया है। यह फ़िल्म २००२ में प्रदर्शित हुई थी एवं १९५६ में प्रकाशित इसी नाम के उपन्यास पर आधारित थी। वेद प्रकाश शर्मा ने इस फ़िल्म से प्रेरित होकर इसके कथानक का पूर्णतः भारतीयकरण करते हुए अपना यह उपन्यास लिखा जो कि एक अत्यन्त रोचक पुस्तक है।

उपन्यास का कथानक भविष्य के हत्यारों को (हत्या करने से पूर्व ही) पकड़ने वाले एक दल के कार्यकलापों को बताता है। इस दल को एक उद्योगपति सिंहानिया द्वारा बनाया गया है जो कि इस दल के माध्यम से कानून की सहायता करने की बात करता है। यह दल अपना काम एक अद्भुत शक्तियों वाले बालक विशेष के कारण कर पाता है जिसमें कि भविष्य में होने वाली हत्याओं को पहले से ही देख लेने की दैवीय क्षमता है। वह जब भी ऐसा कुछ देखता है, उसे इस दल को समय और स्थान की सूचना (जो उसे देखते हुए उपलब्ध हो सके) के साथ-साथ बताता है और फिर यह दल तुरंत उस हत्यारे को हत्या करने से रोकने के लिए संबंधित स्थान की ओर प्रस्थान कर देता है।

इस दल का मुखिया है एक भूतपूर्व कमांडो पारस श्रीवास्तव जो कि एक जांबाज़ युवक है। उसके अन्य साथी भी उसी की तरह साहसी एवं अपने-अपने कार्यक्षेत्र में प्रवीण हैं। पारस एवं उसके साथियों द्वारा कई हत्याओं को होने से पूर्व ही रोक लेने के पश्चात् जहाँ एक ओर सिंहानिया अपने वकीलों के माध्यम से न्यायालय में यह बात रखता है कि भविष्य के हत्यारों को भी वास्तविक हत्यारों की भांति ही दंडित किया जाना चाहिए (यद्यपि उन्हें हत्या नहीं करने दी गई), वहीं दूसरी ओर भविष्य के हत्यारों को पकड़ने के एक प्रोजेक्ट को स्वीकृति हेतु सरकार के पास भेजा जाता है। सरकार मुश्ताक़ नामक एक अधिकारी को विशेष की विशिष्ट क्षमताओं के सत्यापन एवं तदनुरूप इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट पर अपनी जाँच रिपोर्ट देने हेतु भेजती है।

विशेष नामक इस बालक के बारे में सिंहानिया सबको यह बताता है कि उसने विशेष को उसके वास्तविक माता-पिता से गोद ले लिया है। उसे एक गोपनीय स्थान पर अत्यन्त कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है ताकि कोई अपराधी उस तक न पहुँच पाए। लेकिन मुश्ताक़ सहित सभी लोग तब अचंभे में पड़ जाते हैं जब विशेष अपनी ही माता की हत्या होते देख लेता है और वह भी भूतकाल में। जब सब लोग विशेष के जन्मस्थल तक पहुँचते हैं तो पता चलता है कि हत्या वास्तव में हो चुकी है और वह विशेष के पिता ने की है जैसा कि विशेष ने देखा था। लेकिन मुश्ताक़ यह सिद्ध कर देता है कि विशेष का पिता निर्दोष है।

इधर मुश्ताक़ सरकार को विशेष की क्षमताओं एवं प्रस्तावित प्रोजेक्ट के संबंध में अपनी सकारात्मक रिपोर्ट देने का मन बना ही रहा होता है कि अचानक विशेष इस दल के मुखिया पारस को ही किसी की हत्या करते हुए देख लेता है। पारस यह जानकर भौंचक्का रह जाता है। उस पर दूसरा आघात यह होता है कि उसके पुत्र का कोई अपहरण कर लेता है। अब जहाँ दल एवं सिंहानिया पारस को यह समझाना चाहते हैं कि वह अपने आप को दल की सुरक्षा में रखे, वहीं मुश्ताक़ उसे भविष्य के हत्यारे के रूप में गिरफ़्तार करना चाहता है। लेकिन पारस को अपने पुत्र की चिंता है। वह भाग निकलता है। विभिन्न घटनाओं तथा कथानक में आए अनेक मोड़ों के उपरांत वास्तविकता का पता चलता है।

उपन्यास का नाम शिखंडी इसलिए रखा गया है क्योंकि महाभारत महाकाव्य में शिखंडी नामक एक पात्र है जिसकी ओट में से अर्जुन ने भीष्म पितामह पर बाण बरसाए थे और पितामह उनका उचित प्रत्युत्तर इसलिए नहीं दे पाए क्योंकि शिखंडी पूर्व में स्त्री था एवं पितामह ऐसे व्यक्ति पर प्रहार नहीं कर सकते थे; उपन्यास का केंद्रीय पात्र पारस शिखंडी की ही भांति है जिसकी ओट में से वास्तविक अपराधी अपनी चालें चलता है। पारस को शिखंडी बनाकर ही उसने अपने सम्पूर्ण षड्यंत्र का ताना-बाना बुना था।

उपन्यास चाहे वेद जी की मौलिक रचना नहीं है, इसे उनके श्रेष्ठ उपन्यासों में रखा जा सकता है। पाठक को आरंभ से अंत तक बांधे रखने वाला यह उपन्यास इस तथ्य को रेखांकित करता है कि मनुष्य की नाम कमाने की अभिलाषा भी उससे बहुत कुछ (उचित या अनुचित) करवा लेती है। उपन्यास में एक महात्मा जी का पात्र भी है जो कि दिव्य दृष्टि रखते हैं तथा पारस की सहायता करते हैं (जब वह अपने पुत्र को ढूंढ़ने एवं स्वयं को गिरफ़्तारी से बचाने हेतु भाग निकलता है)। इसमें पारस की पत्नी का पात्र भी है जो पारस से अलग हो चुकी है। उपन्यास में यह भी बताया गया है कि विशेष को जिस सुरक्षित स्थान पर रखा गया था उसके बाहर एक मानव-निर्मित वन है जिसमें अनेक हिंसक पशु हैं। इससे उपन्यास का वह अंश जिसमें पारस उस वन से होता हुआ विशेष तक पहुँचता है, पाठकों को रोमांचित कर देने वाला बन पड़ा है।

हिंदी के जिन पाठकों ने हॉलीवुड फ़िल्म माइनॉरिटी रिपोर्ट नहीं देखी है (एवं संबंधित पुस्तक नहीं पढ़ी है), उनके लिए शिखंडी को पढ़ना एक अद्भुत एवं रोमांचकारी अनुभव होगा। एक बार पढ़ना आरंभ कर देने के उपरांत इस उपन्यास को बीच में छोड़ना संभव नहीं है। अपने मूल प्रकाशन के वर्षों बाद भी यह ताज़गी भरा लगता है। वेद प्रकाश शर्मा की सशक्त लेखनी से निकला सरल हिंदी में लिखा गया यह असाधारण उपन्यास पाठकों को सम्मोहित कर देने वाला है, इसमें संदेह नहीं।

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