ख़ाक़सार का जन्म 30
अक्टूबर, 1969 को राजस्थान के जयपुर ज़िले के एक कस्बे सांभर झील
(जो भारत की सबसे बड़ी नमक की झील है) में हुआ । अध्यापक पिता के मध्यमवर्गीय
परिवार में जन्मा और पला-बढ़ा । पढ़ाई में मेधावी रहा और सरकारी विद्यालयों में
हिन्दी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हुए 1985 में राजस्थान बोर्ड की हायर सैकंडरी
परीक्षा में वाणिज्य वर्ग में सम्पूर्ण बोर्ड में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया ।
अपने पैतृक स्थान सांभर झील से ही 1988 में बी. कॉम. की उपाधि प्राप्त करने के
उपरांत उच्च शिक्षा के लिए कलकत्ता चला गया जहाँ से चार्टर्ड लेखापाल की उपाधि
प्राप्त की तथा उसके उपरांत विभिन्न निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में
वित्त एवं लेखा तथा आंतरिक लेखा परीक्षा के विभागों में सेवारत रहा ।
बचपन से ही लिखने-पढ़ने एवं वक्तव्य देने
में रुचि रही । अपने अंग्रेज़ी शिक्षक श्री सुरेन्द्र कुमार मिश्र के आशीष से
हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों ही भाषाओं पर समान रूप से अधिकार रखते हुए अपने
विद्यार्थी जीवन में सदा एक कुशल वक्ता के रूप में जाना गया । प्रशासनिक सेवा से
जुड़ी परीक्षाएं भी दीं तथा 1998 में भारतीय सिविल सेवा एवं 2000 में राजस्थान
प्रशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षाओं में सफल होकर साक्षात्कार के स्तर तक पहुँचा ।
इक्कीसवीं सदी में जब राजस्थान में कोटा नगर के निकट रावतभाटा नामक स्थान पर
राजस्थान परमाणु बिजलीघर में सेवारत था, तब बिजलीघर की गृह-पत्रिका ‘अणुशक्ति’ के लिए लेख लिखना आरंभ
किया । उन्हीं दिनों गुजरात में चल रहे सांप्रदायिक दंगों से व्यथित होकर अपने
पहले हिन्दी एकांकी – ‘दोस्ती’ की रचना की जो कि न
केवल ‘अणुशक्ति’ में प्रकाशित हुआ
बल्कि भाभा आणविक अनुसंधान केंद्र, तारापुर (महाराष्ट्र) में सक्रिय
नाट्य-समूह ‘द्वारका’ द्वारा मंचित भी किया
गया । अब इसका मंचन हैदराबाद में बीएचईएल में सक्रिय एक नाट्य समूह द्वारा भी किया
जा चुका है जो कि यूट्यूब पर उपलब्ध है ।
आने वाले वर्षों में आजीविका के लिए नौकरियां करने के साथ-साथ अपनी सृजनशीलता का दोहन भी अनवरत रखा एवं ‘भूमि-पुत्र’, ‘प्रेम और संस्कृति’ तथा ‘चिराग़-ए-सहर’ नाम के तीन एकांकी और लिखे । कई लेख भी लिखे जो कि ‘अणुशक्ति’, ‘भेल यशस्वी’, ‘अरूणिमा’, ‘पथिक’ आदि सांस्थानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए । बांग्ला तथा अंग्रेज़ी की मूर्धन्य कवयित्री, लेखिका एवं समीक्षिका गीताश्री चटर्जी की प्रेरणा से एक सम्पूर्ण हिंदी उपन्यास ‘क़त्ल की आदत’ भी लिखा जो कि अब तक काग़ज़ पर तो नहीं छपा लेकिन ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ । हैदराबाद ‘बी’ रेडियो के प्रातःकाल प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘प्रकाश-किरण’ में कुछ हिंदी वार्ताएं भी प्रस्तुत कीं ।
अख़बारों में बॉलीवुड फ़िल्मों की अधकचरी
तथा पक्षपातपूर्ण समीक्षाओं से क्षुब्ध होकर स्वयं समीक्षा करने की इच्छा मन में
जागी । परिणाम यह हुआ कि हिंदी के साथ-साथ अंग्रेज़ी में भी सृजन करते हुए www.mouthshut.com पर अनेक ब्लॉग एवं समीक्षाएं लिखीं ।
पुरानी तथा सर्वथा अनजानी हिन्दी फ़िल्मों की समीक्षाओं में विशेष रुचि ली जिसने
इंटरनेट के पाठकों में महती लोकप्रियता प्राप्त की तथा पुरानी बॉलीवुड फ़िल्मों के
गहन ज्ञान के कारण ऐसी फ़िल्मों के विश्वकोश के रूप में पहचाना जाने लगा । कई
हिन्दी तथा अंग्रेज़ी आलेख www.induswomanwriting.com, www.imdb.com, www.wordpress.com, www.prawakta.com, www.jagranjunction.com आदि पर भी प्रकाशित
हुए । विश्व प्रसिद्ध लेखिका अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास ‘Elephants can
Remember’ की
समीक्षा अंग्रेज़ी की ई-पत्रिका ‘Tamarind
Rice’ के
अक्टूबर 2013
के अंक में सम्मिलित की गई । पुत्र ने एक यूट्यूब चैनल बना दिया है (Forgotten
Bollywood Gems) जिस पर भूली-बिसरी हिन्दी फ़िल्मों के बारे में बताया
करता हूँ ।
सौन्दर्य-बोध से ओतप्रोत हूँ तथा ललित
कलाओं से आजीवन किसी-न-किसी रूप में जुड़ा रहना चाहता हूँ । अपने पिता की ही भांति किसी धर्म-विशेष में
नहीं वरन शाश्वत नैतिक मूल्यों में आस्था रखता हूँ एवं मानवता को ही सच्चा धर्म
मानता हूँ । संसार सफलता को पूजता है लेकिन मैं सफलता से अधिक महत्व सद्गुणों को
देता हूँ एवं यह मानता हूँ कि एक कामयाब इंसान होने से बेहतर है एक अच्छा इंसान
होना । और मेरी नज़र में अच्छा (और महान) इंसान वह है जो निर्भय होकर नि:स्वार्थ
भाव से सत्य एवं न्याय के पक्ष में खड़ा हो; दुर्बल पीड़ित का साहाय्य बनकर सबल
आततायी का सामना करे; दीन-दुखियों
के लिए जो उससे बन पड़े, करे
और सदा अपनी पीठ आप ठोकते रहने के स्थान पर दूसरों के गुणों को भी पहचाने एवं
उन्हें अपने मुख से स्वीकार करे चाहे वे लोग कार्यक्षेत्र में उसके प्रतिद्वंद्वी
ही क्यों न हों । अपने लिए मैं यही चाहता हूँ कि मैं चाहे कोई अच्छा लेखक, अच्छा कवि, अच्छा कलाकार, अच्छा व्यवसायी, अच्छा पेशेवर या अच्छा
नेता न बन सकूं लेकिन (अपनी नज़र में) एक अच्छा इंसान ज़रूर बनूं और अपनी अंतरात्मा
से यह बात पूरी सत्यनिष्ठा से निस्संकोच कह सकूं ।
मेरे लेख एवं समीक्षाएं (विशेषतः हिंदी
के) सम्भवतः कलेवर में अधिक होने के कारण कम पढ़े जाते हैं एवं कई बार पढ़ने वाले
मेरे विचारों से सहमत न होने के कारण टिप्पणी नहीं करते हैं लेकिन मेरी लेखनी जब
भी कुछ लिखने के लिए सक्रिय होती है, उसका प्रयोजन
आत्मसंतोष ही होता है, अपने भीतर की घुटन के विरेचन अथवा अपने मानसिक आलोड़न को दिशा देने के लिए
होता है, उसके अभिव्यंजन के लिए होता है । किसी अपवादस्वरूप
लेखन को छोड़कर मैंने सदा अपने लिए
ही लिखा है और इसी प्रकार से मैं लिख सकता हूँ । औरों के लिए लिखना
मेरे वश की बात नहीं ।
मेरी दृष्टि में हिंदी का सर्वकालीन
सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है - यशपाल द्वारा रचित 'झूठा-सच' तथा हिंदी की सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ
फ़िल्म है - गुरु दत्त कृत 'प्यासा' (1957) । मेरा पसंदीदा हिंदी
(फ़िल्मी) गीत है - 'हो
के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा' जो कि क़ैफ़ी आज़मी साहब तथा मदन मोहन जी ने फ़िल्म 'हक़ीक़त' (1964) के लिए रचा एवं जिसे
भूपिंदर, मोहम्मद
रफ़ी, तलत
महमूद व मन्ना डे जैसे चार महान गायकों ने मिलकर गाया ।
मैं यह मानता हूँ कि सर्वगुण-संपन्न अथवा
परफ़ेक्ट न तो कोई व्यक्ति होता है और न ही कोई सृजन । अतः सीखने एवं सुधारने की
प्रक्रिया अनवरत होनी चाहिए । मेरे गुरु स्वर्गीय श्री सुरेन्द्र कुमार मिश्र एक
आदर्श शिक्षक इसलिए थे क्योंकि वे एक आदर्श विद्यार्थी भी थे एवं सीखने तथा सुधार
करने की भावना उनमें जीवन-पर्यन्त विद्यमान रही । मैं भी ऐसा ही हूँ तथा सदा ऐसा
ही बना रहना चाहता हूँ ।
सम्पर्क: jmathur_swayamprabha@yahoo.com
Well described about you.Great👍👍best wishes💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंHearty thanks Vinod
हटाएंवाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसुंदर जीवन परिचय।
हार्दिक आभार माननीया कुसुम जी ।
हटाएंI admire your thoughts and ideals Jitendra. I share many of your values. I share your appreciation of Guru Dutt film Pyaasa and the song from Haqueekat which you have mentioned. You are a much admired and valued friend, Stay Blessed always.
जवाब देंहटाएंHearty thanks Tom Sir. Me too is proud of my association with such a noble person like you.
हटाएंसर,
जवाब देंहटाएंआपसे मिलने वाला प्रत्येक व्यक्ति आपके इस संक्षिप्त जीवन विवरण को हुबहू आपके व्यक्तित्व से मिलाकर देख पाएगा।
मुझे भी अगर कोई आपके बारे में पूछता तो आपकी शैक्षणिक योग्यता विवरण को छोड़कर (मुझे इसकी ज्यादा जानकारी नहीं थी)बाकी हुबहू वैसा ही लिखता जैसा आपने लिखा है।
हृदय से आभार आपका आदरणीय आलोक जी ।
हटाएंSuccess is no accident. It is hard work, perseverance, learning, studying, sacrifice and most of all, love of what you are doing or learning to do.
जवाब देंहटाएंPele
This defines your work sir :)
You said it Shruti Ji. Heartfelt thanks.
जवाब देंहटाएंPLEASURE IS ALL MINE SIR :) AND THANKYOUR FOR YOUR VALUABLE FEEDBACKS ALWAYS GIVES ME IMMENSE MOTIVATION TO WRITE MORE SIR :)
हटाएंYou're welcome Shruti Ji.
हटाएंआपके विषय में पढ़कर अतीव प्रसन्नता हुई आदरणीय 🙏 मुझे खुशी है कि आपकी प्रतिक्रिया मेरी रचनाओं को प्राप्त होती है।आपका यह बहुआयामी व्यक्तित्व और भी निखार पाए ,यही कामना है।
जवाब देंहटाएंहृदय से आभारी हूँ माननीया अभिलाषा जी। आपकी रचनाओं का आस्वादन किसी भी साहित्य-प्रेमी के लिए असीम आनंददायक होता है। यह मेरा सौभाग्य है कि मेरा आपके रचना-कर्म से परिचय हुआ।
हटाएंजितेन्द्र जी,आप पर ये मुहावरा सही बैठेगा,सादर जीवन उच्च विचार, शानदार जीवन परिचय ।बहुत शुभकामनाएं आपको 🙏🙏
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आपका आभार माननीया जिज्ञासा जी।
हटाएंअपने ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रियाएँ पा कर गर्वित महसूस करती हूँ ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार माननीया मीना जी। मुझे भी प्रसन्नता है कि मैं आभासी संसार में आप सरीखी श्रेष्ठ कवयित्री एवं विचारिका के सम्पर्क में आया तथा आपसे बहुत कुछ सीखा।
हटाएंबहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय जितेंन्द्र जी आपका परिचय एवं विचार अनुसरणीय हैं ।आपसे परिचित होना मेरे लिए गर्व की बात है ।ईश्वर से प्रार्थना है कि आप पर इसी तरह अपनी कृपा बनाए रखे ।
जवाब देंहटाएंहृदय से आपका आभार माननीया सुधा जी।
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