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बुधवार, 16 मार्च 2011

कहीं आप ब्रेकिंग प्वॉइंट के निकट तो नहीं ?

तनाव आज के भागते हुए जीवन का एक ऐसा सच बन गया है जिसे अनदेखा करना अपने आपको छलने से अधिक कुछ भी नहीं । हर पत्र-पत्रिका में आए दिन तनाव, उसके प्रभावों एवं उससे बचने अथवा उससे राहत पाने के उपायों पर लिखा जा रहा है । तनाव से राहत तो सभी चाहते हैं किन्तु वस्तुतः ऐसा कैसे किया जाए, इसका व्यावहारिक ज्ञान बहुत ही कम लोगों को होता है ।

तनाव की कई अवस्थाएँ होती हैं । पहली अवस्था रोज़मर्रा के तनाव की है जिसका कि व्यक्ति-चाहे वह कोई विद्यार्थी हो या कामकाजी मानव या गृहिणी-आदी हो जाता है और उससे उसकी सामान्य दिनचर्या पर कोई विपरीत प्रभाव इसलिए नहीं पड़ता क्योंकि वह तनाव वस्तुतः उस दिनचर्या का ही एक अंग बन चुका होता है ।

किन्तु तनाव की अगली अवस्थाएँ जिन्हें कि एडवांस्ड स्टेजेज़ कहा जाता है, विशेष ध्यानाकर्षण माँगती हैं । एक ऐसी ही अवस्था को बोलचाल की भाषा में ब्रेकिंग प्वॉइंट कहा जाता है । यह वह बिंदु है जहाँ पहुँचकर तनावग्रस्त व्यक्ति मानसिक रूप से टूट जाता है । ऐसे में वह किसी शारीरिक व्याधि से ग्रस्त हो सकता है अथवा तंत्रिकाताप (न्यूरोसिस) की चपेट में आ सकता है । शारीरिक व्याधि में नर्वस ब्रेकडाउन से लेकर ब्रेन हैमरेज तक आ सकते हैं और जीवनलीला समाप्त तक हो सकती है । मानसिक स्तर पर व्यक्ति अधिक परेशान हो जाए तो उसका प्रभाव तंत्रिकाताप की सूरत में उसकी दैनंदिन गतिविधियों पर नज़र आ सकता है । अगर सावधानी न बरती जाए और तुरंत उपचारात्मक कदम न उठाए जाएँ तो तंत्रिकाताप मनस्ताप (साइकोसिस) की शक्ल ले सकता है और व्यक्ति लोगों की दृष्टि में मनोरोगी बन सकता है । ऐसे में आत्मघात की भी पूरी-पूरी संभावनाएँ होती हैं ।

ऐसी नौबत न आए, इसके लिए तनावग्रस्त व्यक्ति को स्वयं ही अपना ख़याल रखना होगा । उसे इस सार्वभौम सत्य को आत्मसात करना होगा कि संसार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति वह स्वयं है तथा अन्य सभी लोग बाद में आते हैं । यदि आप तनावग्रस्त हैं तथा आपको यह अहसास हो रहा है कि धीरे-धीरे आप अपने ब्रेकिंग प्वॉइंट के निकट पहुँचते जा रहे हैं तो निम्नलिखित उपायों पर अमल करें :

1. यदि घर एवं परिवार के भीतर कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जिससे अपने तनाव का कारण एवं परिस्थिति कही जा सके तो ऐसे किसी विश्वसनीय मित्र अथवा शुभचिन्तक को ढूंढें जो बिना कोई अनावश्यक सलाह दिए एवं टीका-टिप्पणी किए आपकी बात को सहानुभूतिपूर्वक सुने एवं उसे गोपनीय रखे । एक बार अपने तनाव एवं घुटन को किसी से कह देने के बाद आप हलकापन महसूस करेंगे एवं ब्रेकिंग प्वॉइंट दूर खिसक जाएगा । इस मामले में सावचेत रहना आवश्यक है क्योंकि यदि वह व्यक्ति विश्वसनीय नहीं है तो आपकी गोपनीय बात के सार्वजनिक हो जाने अथवा भविष्य में उसी व्यक्ति के द्वारा आप पर इस बात को लेकर ताना कसे जाने या प्रहार किए जाने का संभावना रहती है ।

2. तनाव की स्थिति में रसभरी चीज़ें यथा चेरी, स्ट्राबेरी आदि खाएँ क्योंकि तनाव का निकट संबंध मूड से होता है और रसभरी चीज़ें मूड सुधारने वाली मानी जाती हैं । इस संदर्भ में चॉकलेट को भी विशेषज्ञों ने लाभदायक माना है ।

3. अपनी पसंद की पुस्तकें पढ़ें, फ़िल्में देखें एवं गीत सुनें । पढ़ी हुई पुस्तक को दोबारा पढ़ने एवं देखी हुई फ़िल्म को दोबारा देखने में कोई हर्ज़ नहीं होता है वरन् कभी-कभी तो दोबारा पढ़ते या देखते समय किसी प्रसंग या संवाद के नये मायने समझ में आ जाते हैं और देखने या पढ़ने वाले को ऐसी नई दिशा मिलती है कि निराशा छूमंतर हो जाती है – भले ही थोड़े समय के लिए । पर यह अस्थायी परिवर्तन भी व्यक्ति को उसके ब्रेकिंग प्वॉइंट से दूर कर देता है । संगीत में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये तो अपने आप को संभालना बेहद सुगम है । न केवल आशा से परिपूर्ण गीत वरन् निराशा एवं दुख में डूबे हुए गीत भी सुनने वाले को स्वयं को संभालने में मदद करते हैं क्योंकि वह गीत के बोलों से अपने जीवन एवं परिस्थिति को जोड़कर देखता है एवं उसे लगता है कि जैसे गीत के रूप में उसी की कहानी कही जा रही है । इससे वह अन्य किसी व्यक्ति से बात किए बिना भी अपने आप को हलका अनुभव करता है ।

4. उन लोगों से पूरी तरह दूर रहें जो आपके ज़ख्मों को कुरेदते हों या आपको हीनता का अहसास कराते हों । ऐसे लोगों से संपूर्ण रूप से दूरी बनाते हुए (उन्हें अवॉइड करते हुए) अन्य लोगों से मिलें जिनसे आप पहले अधिक न मिलते रहे हों । नए लोगों से होने वाली नई बातें न केवल अपने साथ चिपके हुए तनाव की तरफ़ से ध्यान हटाती हैं बल्कि उनके माध्यम से कई बार ऐसी नई गतिविधियों में सम्मिलित होने का अवसर मिल जाता है जो किसी समस्या के व्यावहारिक हल अथवा मानसिक शांति की ओर ले जाती हैं ।

5. जब ऐसा लगे कि हृदय दुख से लबालब भर गया है और रोना आ रहा है तो एकान्त में रोने में कोई बुराई नहीं । अकसर लोग रोने के लिए किसी के कंधे की तलाश करते हैं लेकिन अगर किसी निकट व्यक्ति का कंधा न मिले तो आँसुओं को रोके रखना ठीक नहीं क्योंकि ये मन में भरे हुए दुख को बाहर निकाल देते हैं और शरीर के रासायनिक संतुलन को ठीक कर देते हैं जिससे रो लेने के बाद व्यक्ति को हलकेपन का अनुभव होता है । हाँ, दीर्घावधि तक रोना एवं बारंबार रोना निश्चय ही हानिकारक है ।

इन उपायों पर अमल करें एवं देखें कि आप तनावग्रस्त एवं समस्याग्रस्त होने के बावजूद टूटेंगे नहीं । यह भी स्मरण रखें कि समस्याओं से पलायन नहीं किया जा सकता । पलायन का कोई भी प्रयास केवल कायरता है और कुछ नहीं । ज़िन्दगी की लड़ाई में आपदा रूपी साँड को सींगों से पकड़ना होगा । संघर्ष एवं जुझारूपन का कोई विकल्प नहीं । इसीलिए कहा गया है – टफ़ टाइम्स नैवर लास्ट बट टफ़ पीपुल डू ।

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9 टिप्‍पणियां:

  1. उपयोगी जानकारी । आभार.

    शुभागमन...!
    कामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें । अपने इस प्रयास में सफलता के लिये आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या उसी अनुपात में बढ सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको 'नजरिया' ब्लाग की लिंक नीचे दे रहा हूँ, किसी भी नये हिन्दीभाषी ब्लागर्स के लिये इस ब्लाग पर आपको जितनी अधिक व प्रमाणिक जानकारी इसके अब तक के लेखों में एक ही स्थान पर मिल सकती है उतनी अन्यत्र शायद कहीं नहीं । प्रमाण के लिये आप नीचे की लिंक पर मौजूद इस ब्लाग के दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का माउस क्लिक द्वारा चटका लगाकर अवलोकन अवश्य करें, इसपर अपनी टिप्पणीरुपी राय भी दें और आगे भी स्वयं के ब्लाग के लिये उपयोगी अन्य जानकारियों के लिये इसे फालो भी करें । आपको निश्चय ही अच्छे परिणाम मिलेंगे । पुनः शुभकामनाओं सहित...

    नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.

    उन्नति के मार्ग में बाधक महारोग - क्या कहेंगे लोग ?

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  2. " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, फालोवर अवश्य बने . . www.upkhabar.in

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  3. बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय श्री सुशील जी, आनन्‍द जी तथा हरीश जी । मैं आपके अमूल्य सुझावों का अनुसरण अवश्य ही करूंगा ।

    जितेन्द्र

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  4. Bahut badiya JM.
    Mujhe akhiri point sabse jyada impressive laga. Tanav ki sthiti me jyadatar samajh nahi aata kya karent. Aise me main bas self control ko sabse jyada istemaal karti hun.
    Itni upyogi jankari ke liye bahut abhaar.
    Jasvinder K. Nigam

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  5. जितेन्द्र जी मैंने अनुभव किया है कि दैनिक पूजा और योग में आपके बताये सारे तत्व छिपे रुप में अवस्थित हैं. भारत भूमि ने बाहर काम नहीं किया हो , पर अन्तर्मन की रिसर्च अप्रतिम है. आशा है इस पर भी प्रकाश डालेंगे.

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    1. आपने स्वयं ही न्यूनतम शब्दों का प्रयोग करते हुए इस पक्ष पर पर्याप्त प्रकाश प्रकीर्ण कर दिया है वैतरणी जी । मैं सहमत हूँ आपसे । हार्दिक आभार एवं अभिनंदन ।

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